रुद्रप्रयाग. हिंदाव, ग्यारह गांव हिंदाव, लस्या, बांगर, भरदार, केदारनाथ, बद्रीनाथ जाने वाले पैदल मार्ग पर हिंदाव और लस्या के बीच रै खाल के अस्तित्व को उजाड़े जाने की कवायद से आसपास के क्षेत्र में भारी आक्रोश है. रै खाल में लगभग 8 दशक पहले जंगल के पैदल रास्ते में बने झोपड़ीनुमा होटल को इन दिनों पानी के तालाब के लिए तोड़ा जा रहा है. हिंदाव के लैणी ग्रामसभा के श्री राजेंद्र सिंह रावत (रड़गुसी) ने बताया कि रै खाल पर पालाकुराली के स्व. गब्बर सिंह राणा जी द्वारा सालों पहले बनाए गए होटल को तोड़ा जा रहा है और इससे कई पट्टियों के लोग आक्रोशित हैं.
राजेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जिस जल स्रोत को विकसित करने के नाम पर जंगताल विभाग इस होटल को तोड़ रहा है, इस जल स्रोत को स्व. गब्बर सिंह राणा जी ने ही आने जाने वालों की प्यास बुझाने के लिए गेंती फावड़े से तैयार किया था, बिडम्बना है कि आज यही प्राकृतिक जलस्रोत इस होटल के अस्तित्व को मिटाने का कारण बन रहा है. श्री राजेंद्र रावत ने कहा कि सरकार को इस होटल को और भी विकसित कर इसी स्थल पर गब्बर सिंह जी के परिजनों को देना चाहिए.
इस संबंध में क्षेत्र के एक बुजुर्ग ने कहा कि अब उकाल चढ़ने की शक्ति नहीं, लेकिन रै खाल के होटल को हटाने की बात सुनकर बहुत दुख हो रहा है, यह होटल नहीं यहां घने जंगल के बीच रास्ते से आने आने वाले लोगों का मिलन स्थल, बहु बेटियों की सुरक्षा व साहस बढ़ाने का अहसास का केंद्र था.
उन्होंने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि रै खाल को आबाध करने वाले स्व. गब्बर सिंह राणा ने सुनसान जंगल को अपनी मेहनत से लोगों के लिए मंगल बनाया था. जब मूलगढ से सड़क मार्ग नहीं था, तब चिरबिटिया तक रोड़ थी. हिंदाव, ग्याहरगांव हिंदाव, भिलंग तक के लोग लस्या, बांगर, भरदार, केदारनाथ, बद्रीनाथ जाने के लिए रै खाल से ही आते जाते थे.
हर समय चहल पहल वाले रै खाल पर कभी देव यात्रियों की शंख ध्वनियां गूंजी, कभी यहां से आने जाने वाली बारातों के ढोल रणसिंघा बजे. यहां जलपान की महफिलें जमी, तो जखोली ब्लाक को जाने वाला यह प्रमुख मार्ग होने के कारण क्षेत्रीय राजनीति का केंद्र भी रहा. ब्लाक के लिए क्षेत्र के लोगों की अंतिम रणनीतियों के लिए यह होटल गवाह बना. आज रै खाल के एक झोपड़ीनुमा होटल को नहीं, एक लंबे अध्याय को मिटाया जा रहा है.