घनसाली. उत्तराखंड क्रांति दल (Uttarakhand Kranti Dal) के युवा नेता संदीप आर्य (Sandeep Arya) इन दिनों फिर चर्चा में हैं. स्व. इंद्रमणी बडोनी जी को अपना आदर्श मानने वाले संदीप आर्य ने घनसाली विधानसभा क्षेत्र में बड़ी संख्या में युवाओं को जोड़कर “उत्तराखंड के गांधी” की जन्मस्थली की इस सीट पर उक्रांद के झंडे का प्रहरी बनने का बीड़ा उठाया हुआ है.
उक्रांद के टिहरी जिला उपाध्यक्ष संदीप आर्य को घनसाली के विकास कार्यों में गुणवत्ताहीन कार्यों के खिलाफ अपनी बेबाक प्रतिक्रियाओं, जनसमस्याओं पर आवाज बुलंद करने वाले युवा नेता के रूप में जाना जाता है.
बात तब चाहे जनप्रतिनिधियों के खोखले वादों की हो या फिर घनसाली की जनता को घटिया निर्माण कार्यों के जरिए छले जाने की हो, संदीप आर्य हमेशा एक मजबूत विपक्ष के रूप में घनसाली की जनता की आवाज बुलंद करते रहे हैं. इन दिनों युवा नेता संदीप आर्य ने हुलानाखाल-अखोड़ी मोटर मार्ग के घटिया डामरीकरण को लेकर एक बार फिर आवाज उठाई है और उनका यह वीडियो सोशल प्लेटफार्म पर खूब शेयर हो रहा है. आज हमने उक्रांद के युवा नेता संदीप आर्य से घनसाली से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की, प्रस्तुत हैं बातचीत के अंश-
आपका एक वीडियो फिर सोशल प्लेटफार्म पर खूब शेयर हो रहा है, क्या है मामला ?
यह वीडियो हुलानाखाल- अखोड़ी मोटर मार्ग के घटिया डामरीकरण का है, जो डामरीकरण होते ही उखड़ रहा है. सोचिए जिस डामर को सड़क पर भारी भरकम रोलर मशीन के जरिए प्रेस कर डाला जाता है, वह दो चार दिनों में हाथ से ही मिट्टी की तरह उखड़ रहा है. मैं कहता हूं डामर छोड़िए, एक टमाटर भी रोलर के नीचे सड़क पर आ जाए तो वह भी महीनों अपनी छाप सड़क पर मिटने नहीं देता और यहां विडंबना है कि आग में पकाया गया डामर दो दिन भी सड़क पर नहीं टिक पा रहा है. कुल मिलाकर मेरा कहना है कि यहां की सड़कों और क्षेत्र की जनता के साथ इतना खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है ? हालात यह हैं कि जनप्रतिनिधि सुनते नहीं और ठेकेदार डरते नहीं, क्योंकि ठेकेदारों और जनप्रतिनिधियों की सांठगांठ इस कदर है कि कोई कितना भी आवाज उठाए, गुणवत्ता सुधरने का नाम नहीं ले रही है.
घनसाली में और भी कई नेता हैं, वो तो इन मुद्दों पर आवाज नहीं उठाते हैं, फिर आप ही क्यों ?
यहां विकास कार्यों में घटिया गुणवत्ता को लेकर, जन समस्याओं को लेकर सभी नेता मौन हैं न उनसे अपेक्षा की जा सकती है. वे सब सिर्फ चुनावी गणित साधने और जनता का वोट कैसे उन्हें मिल जाए, बस इतना ही राजनीति करते हैं. मेरे देखने से स्व. इंद्रमणी बडोनी जी के बाद घनसाली को नेता मिला ही नहीं, जो जनता की आवाज उठा सके. रही बात जिन्हें अब आप घनसाली का नेता मान रहे हैं, वे सब वोटों के सौदागर हैं आप उन्हें वोट दो और सरकारी पैसे से उनकी तिजोरी भर दो. जनता के हाल वहीं के वहीं हैं.
तो आप आप अपने नजरिए से समझाएं घनसाली की राजनीति को
देखिए घनसाली की राजनीति अन्य विधानसभाओं से अलग है, यहां बड़े बड़े नामी नेता रहे हैं, लेकिन घनसाली के विकास के मुद्दों पर घनसाली नेतृत्वविहीन ही नजर आती है! मैं उन नेताओं का अगर नाम लूंगा तो वे नाराज होंगे, लेकिन ये सिर्फ अपने लिए एक विधानसभा सीट के नजरिए से घनसाली को देखते हैं. पहले भी यही हुआ और अब भी यही हो रहा है। यहां 2012 में सीट आरक्षित हुई तो सारे बड़े नेताओं ने घनसाली की जनता के मुद्दों पर अपनी जिम्मेदारी छोड़ दी, कोई अदद सीट के लिए पलायन कर लिए तो कोई फिर नए परिसीमन के इंतजार में हैं. यानी सभी का मकसद सिर्फ घनसाली से स्वयं के लिए अवसर तलाशना रहा है, न कि जनता के लिए संघर्ष करना.
2012 से लेकर अब तक के कार्यकाल को किस लिहाज से देखते हैं आप ?
2012 से लेकर आज तक की बात करूं तो हर पांच साल बाद हर विधायक पूर्व हो जाएगा और जनता और व्यवस्था उसी हाल पर खड़ी मिलेगी। जबकि अब देश की राजनीति 2014 के बाद बदल चुकी है. यह घनसाली की जनता के लिए सुखद बाद होनी चाहिए थी कि राज्य की सरकार के सर्मथक विधायक ही घनसाली से दोनों कार्यकाल में जनता ने दिए. 2017 में देश में जहां डबल इंजन की बात हुई, वहीं घनसाली में 2019 के बाद चौपल इंजन और चौपल क्या, दावे यहां तक किए गए कि ग्राम प्रधान तक सब सत्तारूढ़ दल के बने, लेकिन सड़कों का उखड़ता डामर इस इंजन के गांव आते आते ठंडे होने का संकेत दे रहा है. यहां जिला पंचायत अध्यक्ष टिहरी ने अगर गांवों के विकास का मोर्चा नहीं संभाला होता तो घनसाली विधानसभा के गांव गांव सड़क तो रही दूर, लोग इन साढ़े 9 सालों में छोटे छोटे खंड़िंजा, स्कूलों की मरम्मत, पानी की बूंद बूंद के लिए तरस गए होते.
कैसा नेता चाहिए घनसाली को और आप उक्रांद को धरातल पर कहां खड़ा पाते हैं
घनसाली को तथाकथित नेताओं की नहीं, नेतृत्व की जरूरत है, जो जनता को नेतृत्व दे सके. जनता की समस्याओं पर आवाज उठा सके. यहां तीन रुपए का मास्क और दो किलो चावल भी तथाकतित नेता इस स्वार्थ से जनता को बांटते हैं, कि जनता उन्हें इसके बदले वोट दे और वे अपनी तिजोरी भर सकें. जबकि घनसाली की जनता को घनसाली के नवनिर्माण के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं, शिक्षा, शिक्षकों, सड़कों और नौनिहालों के उज्ज्वल भविष्य के लिए किसी सही योग्य नेतृत्व की जरूरत है.
रही बात घनसाली में उक्रांद की धरातलीय स्थिति की, तो मैं अच्छी तरह वाकिब हूं. मेरा मकसद सिर्फ इतना है कि स्व. बडोनी जी के पदचिन्हों पर चलकर घनसाली के नेताओं को स्व. बडोनी जी के राजनीतिक संघर्ष का स्मरण कराऊं कि खुद को जनता के ऊपर मत थोपो कि मैं नेता हूं और मुझे ही विधायक बनाओ, बल्कि जनता के विकास से जुड़े मुद्दों को उठाओ, उनके लिए संघर्ष करो.
स्व. बडोनी जी पहले जनता की आवाज बने और फिर जनता ने उन्हें नेता बनाया, बडोनी जी का राजनीतिक मकसद सिर्फ घनसाली (देवप्रयाग) और प्रमुख, विधायक बनने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि संपूर्ण उत्तराखंड का उनका सपना रहा और राज्य निर्माण के लिए आंदोलन आदि से मजबूत नींव रखी, जिससे उत्तराखंड राज्य का सपना साकार हो सका. मेरा ध्येय यही है कि घनसाली की जनता की आवाज मुखर करूं उसमें, खुद अपने लिए राजनीतिक नफा नुकसान का कोई गणित नहीं है.