दिल्ली. जब आम लोगों पर क्वारंटाइन के नियमों का उल्लंघन करने पर मुकदमे दर्ज हो रहे हैं, तो संवैधानिक पद पर बैठे लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है? हाईकोर्ट ने शुक्रवार को प्रदेश के काबीना मंत्री सतपाल महाराज के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये सख्त टिप्पणी की थी.
याचिका में काबीना मंत्री सतपाल महाराज पर कोरोना को लेकर केंद्र की गाइडलाइन का उल्लंघन करने का आरोप है. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने उत्तराखंड सरकार और काबीना मंत्री सतपाल महाराज को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई.
दूसरी तरफ काबीना मंत्री सतपाल महाराज और उनके परिवार की वजह से दिल्ली से उत्तराखंड तक लोग दहशत के साये में रह रहे हैं. खबर है कि दिल्ली के पंजाबी बाग स्थित सतपाल महाराज के आश्रम श्रीनिवासन सत्संग भवन में दिल्ली सरकार ने होम क्वारंटाइन का नोटिस चस्पा कर दिया है. बताया जा रहा है कि आश्रम में पिछले दिनों कोरोना संक्रमित लोग पाए गए हैं. जिसके बाद उत्तराखंड से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मचा हुआ है. जिसकी एक वजह यह भी बतायी जा रही है कि सतपाल महाराज जब दिल्ली से देहरादून पहुंचे थे तो उनकी ट्रेवलर हिस्ट्री को छुपाया गया.
सतपाल महाराज के परिवार के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी अपनी विधानसभा में जाकर लोगों से मिलना भी चर्चा का विषय बना हुआ है. साथ ही सतपाल महाराज की विधान सभा चौबट्टाखाल से लेकर दिल्ली तक जो-जो लोग महाराज के परिजनों से मिले थे. वह लोग घबराएं हुए हैं. अब देखने वाली बात यह होगी कि हाईकोर्ट की खंडपीठ ने उत्तराखंड सरकार और काबीना मंत्री सतपाल महाराज को जो नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. उस नोटिस का जवाब उत्तराखंड सरकार क्या देती हैं.