देहरादून. स्व. सुंदर लाल बहुगुणा की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में वैज्ञानिकों ने पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए जनसहभागिता को जरूरी बताया.
केंद्रीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (Central Institute of Soil and Water Conservation) में स्व. सुंदर लाल बहुगुणा स्मृति मंच (Sunder Lal Bahuguna Memorial Forum) की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी (Uttarakhand Assembly Speaker Ritu Khanduri) ने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए हमें अपने घर से पहल करनी होगी और ऐसे क्रियाकलापों से परहेज करना होगा, जिनसे पर्यावरण को नुकसान पहुंचे.
उन्होंने स्व. सुंदर लाल बहुगुणा को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि प्रकृति और इस धरती से ज्यादा लेने की भोगवादी प्रवृत्ति को छोड़ते हुए उससे मां जैसा व्यवहार करना होगा. तभी हम अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए समृद्ध धरती और पर्यावरण छोड़ सकेंगे.
प्रदीप बहुगुणा ने रखी कार्यक्रम की रूपरेखा
कार्यक्रम की रूपरेखा रखते हुए सुंदर लाल बहुगुणा के पुत्र प्रदीप बहुगुणा (Pradeep Bahuguna) ने कहा कि स्व. बहुगुणा हमेशा धरती को हरा-भरा बनाने की बात करते थे. उनका कहना था कि हिमालय देश का मुकुट है और इसके संरक्षण में ही पूरे देश का अस्तित्व निहित है. उनका कहना था कि पानी का उपयोग सबसे पहले पहाड़ों को हरा-भरा बनाने के लिए होना चाहिए, जिससे भूक्षरण और बाढ़ जैसी समस्या से छुटकारा मिल सके. इसके लिए उन्होंने नारा दिया था धार ऐंच पाणी, ढाल पर डाला, बिजली बनावा खाला खाला. 70 के दशक में पेड़ों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन (Chipko Movement) की शुरूआत करते हुए उन्होंने पेड़ों की मुख्य पैदावार आक्सीजन और पानी बताया था. नारा दिया था क्या है जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार. मिट्टी, पानी और बयार-जिंदा रहने के आधार.
इसलिए चावल खाना खाना छोड़ दिया था स्व. बहुगुणा ने
वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप बहुगुणा ने कहा कि स्व. बहुगुणा सिद्धांतों के इतने पक्के थे कि सरकार द्वारा पेड़ों का कटान न रोके जाने पर उन्होंने पदमश्री को भी ठुकरा दिया. उनका मानना था कि पानी के अत्यधिक दोहन और इसके संरक्षण पर ध्यान न दिए जाने से जल संकट आने वाले समय की सबसे बड़ी समस्या बन सकता है और अगला विश्व युद्ध पानी के लिए ही छिड़ सकता है. स्व. बहुगुणा ने चावल खाना केवल इसलिए छोड़ दिया था कि धान का पौधा जमीन से भारी संख्या में पानी सोखता है.
इसी तरह उन्होंने सेब खाना भी इसलिए छोड़ दिया कि सेब को शहरों तक पहुंचाने के लिए पेटियां बनाने में बड़ी संख्या में पेड़ काटे जाते हैं. प्रदीप बहुगुणा ने स्व. बहुगुणा को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि उनका व्यक्तित्व इतना प्रेरक था कि धूम सिंह नेगी जैसे शिक्षक अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर उनके साथ हो लिए तो पिथौरागढ़ के कुख्यात डकैत उम्मेद सिंह ने उनके समक्ष आत्म समर्पण करते हुए डकैती छोड़कर साधारण और सादा जीवन अपना लिया.
स्व. बहुगुणा ने सालों पहले बता दी थी कानून बनाने की जरूरत
आईसीएफआरई के पूर्व निदेशक डा. वीके बहुगुणा ने कहा कि स्व. बहुगुणा ने बाहरी लोगों ओर भूमाफियाओं के उत्तराखंड की भूमि पर काबिज होने पर चिंता जताते हुए कहा था कि इसको रोकने के लिए सख्त कानून बनाने की जरूरत है. उन्होंने रही सही भूमि के संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि इसको बचाने के लिए ऐसे पोधे लगाए जाने के लिए जिसकी जड़ों में मिट्टी को संरक्षित करने की ताकत हो. उन्होंने बेकार और खराब पड़ी जमीन पर झाड़ियां भी उगाने का सुझाव दिया. उन्होंने प्र्यावरण को बचाने में जनसहभागिता को जरूरी बताया.
टैक्सास विवि के पूर्व प्रोफेसर ने भी स्व. बहुगुणा को किया याद
कार्यक्रम में आन लाइन मोड से जुडकर टैक्सास विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जार्ज जेम्स ने स्व. सुंदर लाल बहुगुणा के सादे जीवन और पर्यावरण को बचाने के लिए किए गए उनके प्रयासों का जिक्र किया. आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनील जोशी ने जल समस्या को देखते हुए सीवरेज ट्रीटमेंट की आवश्यकता पर बल दिया.
धरातल पर काम करने से बचेगा पर्यावरण : नारायण सिंह राणा
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उत्तराखण्ड सरकार के पूर्व मंत्री नारायण सिंह राणा ने कहा कि बड़े-बड़े होटलों के वातानुकूलित कक्षों में चर्चा से पर्यावरण नहीं बचेगा. हमें जनता के बीच जाकर धरातल पर काम करना होगा. उन्होंने इस तरह का आयोजन नागटिब्बा में आयोजित करने का सुझाव दिया. जहां वे बागवानी के प्रयोग कर रहे हैं.
धूम सिंह नेगी ने दिया जनसहभागिता पर जोर
स्व. बहुगुणा के सहयोगी धूम सिंह नेगी ने भी पर्यावरण संरक्षण के लिए जनसहभागिता पर जोर दिया. कार्यक्रम के सफल आयोजन पर बधाई देते हुए डॉ. मधु ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खतरों को कम करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें वैज्ञानिक और सरकारी विभागों और समाज सेवा में जुड़े लोगों को शामिल किया जाएगा.
स्व. बिहारी लाल के पुत्र जय शंकर, रि. आईएएस चंद्र सिंह और विवेक खण्डूरी का सम्मान
कार्यक्रम में चिपको आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए स्व. कुंवर प्रसून की धर्मपत्नी रंजना भंडारी को मुख्य अतिथि ऋतु खंडूडी ने शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया. इस मौके पर स्व बिहारी लाल के सुपुत्र जयशंकर नगवाण, पूर्व आईएएस चंद्र सिंह, विवेकानंद खंडूडी और खिलाड़ी वीरेंद्र सिंह रावत को भी सम्मानित किया गया. स्व. सुंदर लाल बहुगुणा मंच द्वारा सभी अतिथियों को चैड़ी पत्ती के फलदार पौधे भेंट कर उसके संरक्षण की अपील की गई. कार्यक्रम का संचालन आस्ट्रिलयन एनर्जी फाउंडेशन की सस्टेबिलिटी फैलो हरीतिमा बहुगुणा ने किया.
कार्यक्रम में डा. वी.के. बहुगुणा, पूर्व डीजी आईसीएफआरई, आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी कुलपति प्रो. सुनील जोशी, सामाजिक कार्यकर्ता राधा बहन, एपिको मूवमेंट के संस्थापक पांडुरंग हेगड़े, जलपुरुष राजेंद्र सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता धूम सिंह नेगी, योगेश बहुगुणा, रिटायर्ड प्रोफेसर प्रो. अजय गैरोला, डा. पीएस नेगी, डीजी आईसीएफआरई अजय रावत, संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल के कुलपति रमेश भारद्वाज, प्रो प्रकाश बहुगुणा, डा. जीपी जुयाल, प्रो जार्ज जेम्स, प्रो. वीर सिंह, प्रेस क्लब अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा, हाईफीड के निदेशक कमल बहुगुणा मौजूद थे.