देहरादून. उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण (summer capital of uttarakhand gairsain) में उत्तराखंड सरकार द्वारा बजट सत्र आयोजित नहीं करने पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने धामी सरकार पर कड़ा प्रहार किया है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बजट सत्र को यात्रा सीजन के नाम पर गैरसैंण में अयोजित नहीं करने को लेकर भराड़ीसैंण की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Former Chief Minister Harish Rawat) ने कहा कि गैरसैंण-भराड़ीसैण (gairsain-bharadisain) हम कितनी ही शब्दों की चासनी परोसें, मगर जब भी कोई ऐसा बहाना मिला है, जिससे गैरसैंण-भराड़ीसैंण से बचा जा सके, बड़े लोग बचे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा, आख़िर भराड़ीसैंण में ठण्ड लगती है, यह शब्द भी तो हमारे मान्यवरों के मुंह से ही निकला. सत्र कितने ही दिन का हो, जाते ही बिस्तर बांध कर वापस लौटने की तैयारी करते हुए भी हमारे मान्यवर ही दिखाई देते हैं और इस बार जो बहाना गैरसैंण में बजट सत्र आयोजित न करने का लिया गया है, वह बहाना गैरसैंण और भराड़ीसैंण के साथ खड़े लोगों की भावनाओं का गंभीरतम अपमान है.
उन्होंने कहा, चारधाम यात्रा तो हर वर्ष होगी. हर वर्ष यात्रा में चुनौतियां आएंगी तो इसका अर्थ है कि भराड़ीसैंण में कभी भी बजट सत्र नहीं होगा और बजट सत्र ही क्यों, कभी बरसात होगी, कभी ठंड होगी, तो भराड़ीसैंण का विधानसभा भवन केवल एक स्तूप के तरीके से हम सब लोगों के कृतित्व का साक्षी बनता रहेगा.
14 जून को भराड़ीसैंण में जाकर प्रणाम करेंगे रावत
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, मेरे लिए भराड़ीसैंण गैरसैंण की उपेक्षा, वह भी षड्यंत्रपूर्ण तरीके से उपेक्षा को सहन करना अत्यधिक कठिन है. इसीलिए मैंने तय किया है कि मैं 14 जून को जब विधानसभा बैठेगी तो मैं भराड़ीसैंण में जाकर विधान भवन से सारे उत्तराखंड के लोगों को प्रणाम करूंगा और मैं उनसे इस तथ्य के लिए क्षमा चाहूंगा कि भराड़ीसैंण सहित उसके चारों तरफ के क्षेत्र जिनमें अल्मोड़ा, पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग व बागेश्वर जिले के कुछ क्षेत्र सम्मिलित हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि वहां के विकास के लिए हमने 1000 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किया. यह धन, राज्य की जनता का धन है और आज जिस तरीके से भराड़ीसैंण याचक के तौर पर वरमाला लिये अपने मान्यवरों के स्वागत के लिए एक टक निहार रहा है और उसकी माला स्वीकार करने के लिए न सरकार तैयार है, न मान्यवर तैयार हैं! तो ऐसी स्थिति में मेरे जैसे व्यक्ति के लिए राज्य की जनता से क्षमा मांगने के अतिरिक्त और कुछ करना शेष नहीं है.
त्रिवेंद्र सिंह रावत, सतपाल महाराज, विजय बहुगुणा से पूछा आप कहां पर खड़े
पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि हां एक सवाल मेरा उन लोगों से है जो अपने को भराड़ीसैंण विचार के साथ जोर-शोर से जोड़ते हैं. जिनमें ग्रीष्मकालीन राजधानी और 25 हजार करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा करने वाले श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी, भराड़ीसैंण विधानसभा भवन के विचार के जनक श्री सतपाल महाराज जी, गैरसैंण में प्रथम कैबिनेट मीटिंग आहूत करने वाली श्री विजय बहुगुणा जी और निरंतर गैरसैंण-भराड़ीसैंण की जागर लगाने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल जी सहित कई लोगों से समय यह जरुर पूछेगा कि ऐसे समय में जब भराड़ीसैंण की उपेक्षा के लिए बहाना ढूंढा जा रहा है तो आप कहां पर खड़े हैं!
रावत ने कहा कि मैं 14 जून को भराड़ीसैंण (Bharadisain) पहुंचूंगा और उत्तराखंड वासियों से हाथ जोड़ूंगा कि यदि मैंने कोई गलती की है तो उसके लिए क्षमा चाहूंगा. मैं कोई गाजे-बाजे के साथ वहां नहीं पहुंच रहा हूं, न अपने साथी-सहयोगियों का आवाहन् कर रहा हूं कि आप भराड़ीसैंण पहुंचिये. मगर अकेले या कुछ लोग जो आ ही जाएंगे, उन सबके साथ मैं अपने मन की भावना के कर्तव्य को 14 जून को जरूर पूरा करूंगा.