कहते हैं पहाड़ की जवानी और पहाड़ का पानी उत्तराखंड के काम नहीं आता है. अक्सर उत्तराखंड से जो युवा रोजगार के लिए महानगरों की ओर चले आते हैं उन्हें पहाड़ में ही रोकने की इच्छाशक्ति को लेकर यह वाक्य बहुत प्रचलित है. लेकिन ऐसा नहीं है, जो युवा उत्तराखंड यानी पहाड़ को छोड़ कर महानगरों की ओर आते हैं अगर उनके अंदर उत्तराखंडवासियों की सेवा का जज्बा भरा हो तो वे जहां रहें वहीं अपने राज्यवासियों की सेवा के लिए जी जान से समर्पित हो जाते हैं.
जी हां, ऐसे ही युवा हैं खनकर बुंगाछीना, जिला पिथौरागढ़ उत्तराखंड (Pithoragarh Uttarakhand) के मूल निवासी श्री मनोज भट्ट (Manoj Bhatt) जी, जो पले बढ़े तो मुंबई में ही, लेकिन उत्तराखंडी प्रवासियों के प्रति गहरे लगाव के कारण प्रवासियों के सुख दुखों में उनकी सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं. मुंबई में प्रवासियों के सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक आयोजनों को संचालित करने में युवा समाजसेवी श्री मनोज भट्ट की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है.
प्रवासियों के सांस्कृतिक सामाजिक आयोजनों में है महत्वपूर्ण भूमिका
नवी मुंबई से राज्यभर में ट्रांसपोर्ट व्यवसाय करने बाले युवा बिजनेसमैन, श्री मनोज भट्ट (Manoj Bhatt) अपने व्यवसाय के साथ ही प्रवासियों के बीच युवा समाजसेवी के रूप में उभरते चेहरे के रूप में लोकप्रिय हैं. मुंबई में सांस्कृतिक सामाजिक आयोजनों के आधार स्तंभ श्री मनोज भट्ट मुंबई में प्रवासियों के सबसे बड़े सांस्कृतिक आयोजन कौथिग महोत्सव (Kauthig Festival) को लोकप्रियता के शिखर पर ले जाने वाली कौथिग फाउंडेशन मुंबई (Kauthig Foundation Mumbai) की टीम कौथिग के सक्रिय आर्गेनाइजर हैं. कौथिग महोत्सव के लिए लगातार महीनों मेहनत करने वाले युवा श्री मनोज भट्ट सांस्कृतिक आयोजनों के अलावा मुंबई और नवीमुंबई में उत्तराखंडियों के बीच सामाजिक पटल पर भी निरंतर सक्रिय हैं.
कोरोना के प्रचंड दौर में घर से बाहर निकल कर की फंसे लोगों की मदद
वैश्विक महामारी कोरोना के दौर में मार्च महीने में हुए लाकडाउन में जब दुनिया अपने घरों में सिमट गई थी, तब रोजगार बंद होने से पहाड़ का युवा भी दिल्ली, मुंबई, पुणे, बंगलूर आदि महानगरों में फंस गया था. श्री मनोज भट्ट मदद की आस लगाए युवाओं की ”उम्मीद” बनकर आए. श्री मनोज भट्ट ने फंसे युवाओं की मदद के लिए प्रवासी सामाजिक संगठनों तक फंसे लोगों का दर्द पहुंचाया. इस दौर में काफल फाउंडेशन मुंबई, कौथिग फाउंडेशन मुंबई जैसे कई प्रवासी संगठनों ने मदद का हाथ बढ़ाया, लेकिन उस दौर में कई होटिलियर युवा ऐसे थे, जिनकों पैसे से ज्यादा राशन आदि की जरूरत थी, उनके बैंक खाते नहीं थे, उन्हें राशन चाहिए था. ऐसे में ऐसे कठिन समय में जब कोरोना अपने भयावह दौर में था, संक्रमण की परवाह किए बिना श्री मनोज भट्ट जी युवाओं की मदद के लिए सड़क पर उतरे और जगह-जगह अपने निजी वाहन से लोगों को राशन पहुंचाई.
मुंबई में आर्थिक रूप से संपन्न उत्तराखंडियों तक पहुंचाया लोगों का दर्द
श्री मनोज भट्ट जी ने कोरोना के दौर में फंसे उत्तराखंडियों के लिए एक तरफ सामाजिक संस्थाओं, मुंबई के आर्थिक रूप से संपन्न उत्तराखंडियों को मदद के लिए जागृत किया, वहीं महाराष्ट्र सरकार (Government of Maharashtra), उत्तराखंड सरकार (Government of Uttarakhand), महाराष्ट्र के राज्यपाल (Governor of Maharashtra) जी से सतत संपर्क कर लोगों को मुंबई से उत्तराखंड भेजने के लिए स्पेशल ट्रेन (Special train) की व्यवस्था करने के लिए भागदौड़ की.
यह ऐसा दौर था, जब सभी राज्यों के फंसे लोगों के लिए स्पेशल ट्रेनें लग रही थी और उत्तराखंड के मुंबई और पुणे में फंसे लोगों का धैर्य खत्म होता जा रहा था, उस दौर में श्री मनोज भट्ट ने पुणे से लेकर मुंबई तक के लोगों के लिए सरकार और फंसे युवाओं के बीच संवाद की कड़ी बनकर स्पेशल ट्रेन, सामाजिक संगठनों के जरिए बस आदि लगवाने में मदद की. तब युवाओं की तकलीफें ट्रेन लगने से भी खत्म नहीं हो रही थी, उन्हें स्टेशन तक पहुंचने के लिए भी मददगार की जरूरत थी. श्री मनोज भट्ट ने सैकड़ों लोगों को रेलवे स्टेशन तक छोड़ने की व्यवस्था की. युवा अवस्था में ही श्री समाजसेवा में परचम लहराने वाले श्री मनोज भट्ट की समाजसेवा की लंबी फेहरिश्त है, जो वह अपने अमूल्य समय से समय निकालकर समाज को समिर्पत कर रहे हैं. ऐसे युवा समाजसेवी श्री मनोज भट्ट जी को आज जन्मदिन (26/12/2020) की बहुत बहुत शुभकामनाएं.