कल का सूर्य ग्रहण उत्तराखंड, कश्मीर, हिमालयी क्षेत्र के राज्यों के लिए थोड़ा चेतावनी भरा रहने का संकेंत दे रहा है. यह सूर्य ग्रहण हिमालयी क्षेत्रों में भूस्खलन, जल प्लावन, भूकंप की ओर भी इशारा कर रहा है. आचार्य उमाशंकर अंथवाल शास्त्री ने बताया कि 21 जून 2020 को लगने वाले सूर्य ग्रहण में 6 ग्रह वक्री रहेंगे. ग्रहण राहुग्रस्त है, जो मिथुन राशि में सूर्य एवं चन्द्रमा को पीडि़त कर रहे हैं. 21 जून को अमावस्या के दिन लगने वाला यह सूर्य ग्रहण कंकणाकृति होगा. यह सूर्य ग्रहण भारत सहित अफ्रीका, यूरोप, एशिया आदि देशों में दिखाई देगा.
आचार्य उमाशंकर अंथवाल जी ने कहा कि इस सूर्य ग्रहण को धार्मिक महत्व होगा. उत्तराखंड में सूर्य ग्रहण का सूतक रात्रि शनिवार 10.35 बजे से प्रारंभ होगा. उत्तराखंड में प्रात: 10.25 से ग्रहण काल होगा और दिन मध्य में 12.06 बजे एवं इस ग्रहण का समाप्ति काल 1.52 पर होगा. ग्रहण के दौरान भोजन आदि वर्जित है. बाल, बुजुर्ग, गर्भवती महिला, रोगी आदि भोजन करें तो कोई दोस नहीं लगेगा. इस ग्रहण में जप, ध्यान, दान आदि कर पुण्य का लाभ लें.
ग्रहों की स्थिति और सूर्यग्रहण के यह दुष्प्रभाव हिमालयी क्षेत्र में 22 दिसम्बर तक देखे जा सकते हैं. यह ग्रहण करीब 03 घंटे 25 मिनट रहेगा. उत्तराखंड के कुछ हिस्सों से पूर्ण छल्लेदार दिखाई देगा. सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है. वर्ष 2009 के बाद इस तरह की खगोलीय घटना सामने नहीं आई.
राशियों पर प्रभाव
मिथुन राशि के जातक रहें सावधान, सिंह, कन्या, तुला, मीन राशि के जातक मालामाल होंगे. बाकी राशियों के लिए सामान्य है. इस ग्रहण के प्रभाव स्वरूप देश व दुनिया में पड़ोसी राष्ट्रों के आपसी तनाव, अप्रत्यक्ष युद्ध, महामारी, राजनीतिक परिवर्तन, हिंसक घटनाओं में इजाफा, आर्थिक मंदी आदि पनपने के संकेत हैं. जहां तक भारत की बात है, विश्व में भारत का प्रभाव बढ़ेगा. महामारी से कई देशों को नुकसान होगा. प्राकृतिक आपदाएं आएंगी, जल प्रलय का खतरा हम सभी पर मंडरा रहा है.
गर्भवती महिलाएं रखे विशेष ख्याल
गर्भवती महिलाओं को सूर्य ग्रहण के समय विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसी महिलाओं को सूर्यग्रहण नहीं देखना चाहिए. सूर्यग्रहण देखने से शिशु पर दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं. गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय कैंची, चाकू आदि से कोई वस्तु नहीं काटनी चाहिए. ग्रहण के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए ऐसा शास्त्रों का कहना है. इन उपायों को करने से ग्रहण के बुरे प्रभावों से बचा जा सकता है. ग्रहण समाप्त होने के बाद सूर्योदय के समय पुन: स्नान करके संकल्पपूर्वक यथा शक्तिवस्तुओं का दान कर दें.
जप तप पूजा के लिए आचार्य उमाशंकर अंथवाल जी से गांव में संपर्क किया जा सकता है.
आचार्य उमाशंकर अंथवाल जी ग्राम अंथवाल गांव, हिंदाव में ही अपने घर में हैं