देहरादून. मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सुमाङी में एनआईटी के स्थाई केम्पस के लिए 909.85 करोङ रूपए की स्वीकृति पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक का आभार व्यक्त किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अपने व्यय पर संस्थान के लिए बिजली व पानी की व्यवस्था करेगी और सङक का निर्माण करेगी. आज प्रदेशवासियों की लम्बे समय से चली आ रही मांग पूरी हुई है. एनआईटी के स्थाई कैम्पस के निर्माण से प्रदेश में क्वालिटी एजुकेशन को बढावा मिलेगा. साथ ही क्षेत्रवासियों की आर्थिकी भी मजबूत होगी.
उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने भी माना आभार
उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने भी प्रसन्नता जताते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक और मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का धन्यवाद करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री और वे स्वयं भी इसके लिए प्रयासरत थे और केंद्र सरकार से अनुरोध किया था. अब संस्थान के लिये धनराशि की मंजूरी से राज्य की बङी मांग पूरी हुई है. कुल 909.85 करोङ रूपए में से 78.81 करोङ रूपए वर्तमान के अस्थायी कैम्पस के सुदृढ़ीकरण के लिए स्वीकृत किए गए हैं.
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है और केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक जी के नेतृत्व में एनआईटी उत्तराखंड की स्थापना के लिए 909.85 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है. 909.85 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत में से. सुमाड़ी, पौड़ी गढ़वाल में स्थायी कैंपस के लिए 831.04 करोड़ रुपये स्वीकृत हैं.
- इसके अलावा श्रीनगर गढ़वाल में अपने मौजूदा अस्थायी परिसर में हॉस्टल, लेक्चर हॉल कॉम्प्लेक्स और प्रयोगशालाओं जैसी सुविधाओं के उन्नयन के लिए 78.81 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है.
- आईटीआई और रेशम फार्म भूमि हाल ही में उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा संस्थान को हस्तांतरित की गई. भविष्य में, श्रीनगर गढ़वाल में परिसर का उपयोग हिमालय के पर्यावरणीय स्थिरता केंद्र के रूप में किया जाएगा.
- बुनियादी ढांचे का उपयोग अतिरिक्त पीजी पाठ्यक्रमों जैसे कि एमबीए, एमएससी, आदि के संचालन के लिए भी किया जाएगा और अन्य महत्वपूर्ण संस्थागत गतिविधियां जैसे प्लेसमेंट ड्राइव, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों का सम्मेलन, कार्यशालाएं आदि के लिए किया जाएगा.