टिहरी गढ़वाल. वैश्विक महामारी कोरोना के बीच उत्तराखंड के अनेक क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षकों को बड़ी असमंजसपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. शिक्षा विभाग ने कई दिनों से बंद स्कूल-कोलेजों में शिक्षकों को तैनाती स्थल पर जाने का निर्देश दिया है. विभाग का आदेश पाते ही बड़ी संख्या में शिक्षक-शिक्षिकाएं अपने कार्यस्थल पर पहुंचे हैं, लेकिन यहां ग्रामसभा के प्रधानों द्वारा इन्हें भी क्वारंटाइन किए जाने की खबर है. मिली जानकारी के अनुसार, राज्य के ही जिलों और गांवों से अपने ड्यूटी स्थल विद्यालय में पहुंचे कर्मचारियों को 14 दिन के लिए क्वारंटाइन करने की घटनाओं से राज्य के सभी शिक्षकों में भारी आक्रोश है.
गांव के प्रधान व जिला प्रशासन आदेशों को मानने को तैयार नहीं : श्री श्यामसिंह सरियाल
राजकीय शिक्षक संघ टिहरी के पदाधिकारी श्री श्यामसिंह सरियाल ने बताया कि उत्तराखंड शिक्षा विभाग के सचिव जी ने जबकि स्पष्ट आदेश दे रखा है कि अपनी तैनाती स्थल पर जा रहे विभाग के कर्मचारियों को क्वारंटाइन न किया जाए, लेकिन गांव के प्रतिनिधि और टिहरी जिला प्रशासन इन आदेशों को मानने को तैयार नहीं है और बेवजह शिक्षक- शिक्षिकाओं को परेशान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जब शिक्षकों को क्वारंटाइन ही करना था तो उन्हें विद्यालयों में बुलाया ही क्यों गया है.
श्री सरियाल ने कहा कि यदि शिक्षकों की कोई अदरस्टेट ट्रैबलहिस्ट्री होती तो तब तो क्वारंटाइन किए जाने की बात ठीक थी, लेकिन जब हम अगल-बगल के ही जनपदों में रह रहे हैं तो क्वारंटाइन की बात उचित नहीं है. श्री श्यामसिंह सरियाल ने बताया विभाग हमें कह रहा है विद्यालयों में जाओ और गांवों में प्रधान और मकान मालिक कह रहे हैं यहां मत आओ, अब स्थिति यह हो गई है कि कई लोग बीच रास्तों में होटलों में रुकने को मजबूर हैं.
सेवा करने हम तैयार, पर सुरक्षा तो दे उत्तराखंड सरकार
श्री सरियाल ने कहा कि गांवों के अधिकांश विद्यालयों में बाहर से आने वाले लोगों को होम क्वारंटाइन किया गया है और बढ़ते संक्रमण के बीच शिक्षकों को भी उन्हीं सेंटरों में क्वारंटाइन किया जा रहा है, जिससे संक्रमण का खतरा भी बना हुआ है. ऐसे हालातों में शिक्षकों को राज्य सरकार द्वारा सुरक्षा किट आदि मुहैया कराई जानी चाहिए. उन्होंने बताया कि कोरोना संकट में अन्य विभागों की तरह शिक्षा विभाग के कर्मचारी भी सेवा देने के लिए तत्पर हैं, लेकिन अन्य विभागों की तरह हमें भी बीमा लाभ आदि की सुविधाएं दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि तैनाती स्थलों पर लोगों का यह व्यवहार और स्थानीय प्रशासन द्वारा राज्य शिक्षा महकमे के आदेश को नजरअंदाज करने से मुश्किल खड़ी हो गई है.
किराए के कमरों में नहीं आने दे रहे मकान मालिक, महिला शिक्षक भी परेशान : श्री लक्ष्मण सिंह रावत
शिक्षक संगठन के जिला महामंत्री टिहरी, श्री लक्ष्मण सिंह रावत जी ने इस संबंध में बताया कि विभाग की कई शिक्षिकाओं को गांव वालों और मकान मालिकों ने उन्हें कमरों में आने से रोककर उन्हें जबरदस्ती स्कूलों में बने क्वारंटाइन सेंटरों में भेज दिया है. ऐसी स्थिति में शिक्षिकाओं को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कुछ स्कूलों में तो महिला शिक्षक भी क्वारंटाइन की गई हैं.
श्री रावत जी ने कहा कि विभाग को इस बारे से इस बारे में आग्रह किया गया था, तो विभाग ने आदेश भी निकाला कि शिक्षकों को क्वारंटाइन न किया जाए. उन्होंने कहा कि ग्रामसभा के प्रधान भी दोहरी स्थिति में हैं, एक तरफ तो उन्हें अन्य प्रदेशों से गांव आने वाले वहीं के लोगों को क्वारंटाइन करना है और दूसरी और शिक्षकों को छूट दें तो गांव वालों का विरोध सहन करना है. इसलिए इस मामले में टिहरी जिला प्रशासन को शिक्षा सचिव, उत्तराखंड शासन के आदेश को अमल में लाने की पहल करनी चाहिए.
श्री रावत ने बताया कि संगठन ने क्वारंटाइन करने का विरोध किया है, क्योंकि जब स्कूल जाकर क्वारंटाइन ही रहना है, तो फिर वहां शिक्षक देखभाल कैसे करेंगे. इसके बावजूद भी विभाग के खंड शिक्षा अधिकारी अध्यापक अध्यापिकाओं की ड्यूटी लगा रहे हैं. साथ ही ड्यूटी लगाने में भी बड़ी विसंगति देखी जा रही है, कहीं खंड शिक्षा अधिकारी ड्यूटी का आदेश दे रहे हैं, कहीं प्रधानाचार्य आदेश जारी कर रहे हैं, जिससे प्रधानाचार्यों के सामने भी दिक्कत यह है कि उनके टीचर तो आकर क्वारंटीन हो रहे हैं, फिर जो लोग लगातार ड्यूटी कर रहे हैं, उन्हें ही ड्यूटी करनी पड़ रही है. श्री रावत जी ने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए जिला प्रशासन को शीघ्र निर्णय लेना चाहिए, जिससे इस तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े.
अपने घर से आया फिर भी 14 दिन का पृथकवास
टिहरी गढ़वाल के सुदूर क्षेत्र में कार्यरत एक शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि मैं विभाग के आदेश के पालन करते हुए जैसे ही अपने विद्यालय पहुंचा, गांव वालों ने यहां मुझे 14 दिन के पृथकवास में स्कूल के एक कमरे में रहने को कह दिया है. उन्होंने कहा कि मैं अपने परिवार, छोटे बच्चों के साथ रहकर अपने घर से ही आया, फिर भी क्वारंटाइन किया जाना आश्चर्यजनक है. उन्होंने कहा कि यहां पानी का एक ही स्रोत (नल) होने के कारण नल से पानी भी नहीं भरने के लिए कहा जा रहा है. इन गुरूजी ने बताया कि जहां मेरा पहले किराए का कमरा था वहां भी मुझे नहीं रहने दिया गया और अब स्कूल में ही क्वारंटाइन हूं, जबकि स्कूल में पहले ही बड़ी संख्या में गांव लौटे प्रवासी रुके हुए हैं.