नई टिहरी. बुधवार को राष्ट्रीय कृषि प्रसार प्रौद्योगिकी मिशन आत्मा योजना के अंतर्गत गवर्निंग बोर्ड की बैठक में जिलाधिकारी इवा आशीष की अध्यक्षता ने विकास भवन सभागार में संपन्न हुई. बैठक में वित्तीय वर्ष 2021-22 में कृषि विभाग को आवंटित की गई धनराशि से किए गए कार्यों व वित्तीय वर्ष 2022-23 की कार्य योजनाओं पर चर्चा हुई. जिलाधिकारी के कृषि विभाग के अधिकारी को निर्देश दिए कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में सिंचाई टेंक के निर्माण का लक्ष्य 15 से 20 करने के निर्देश दिए है. जिलाधिकारी ने कहा कि जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा हेतु फेंसिंग की मांग को देखते हुए इस वर्ष 200 हेक्टेयर पर फेंसिंग किए जाने के की योजना तैयार निर्देश दिए हैं.
सिंचाई टैंक सिल्ट को खाली करवाने की मनरेगा से व्यवस्था
उन्होंने कहा कि जो सिंचाई टैंक सिल्ट के कारण भर चुके हैं उनको मनरेगा से खाली करवाने की व्यवस्था का काश्तकारों में व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए ताकि इन टैंकों को डिसिल्ट करके पुनः उपयोग में लाया जा सके. सिंचाई के कार्यो में स्थाई नहर की वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर एचड़ीपी की डिमांड लगातार बढ़ रही है जिसको देखते हुए जिलाधिकारी ने एसडीपी सिंचाई पाइप के लक्ष्य को बढ़ाने के निर्देश दिए है.
जिओ मेमब्रेन टैंक की कम लागत व अधिक समय तक टिके रहने की क्षमता देखते हुए जिलाधिकारी ने इस वर्ष जिओ मेमब्रेन टैंक के निर्माण का अच्छा-खासा लक्ष्य रखने के निर्देश दिए है. उन्हीने बताया कि सिंचाई टेंक की तुलना में जिओ मेमब्रेन टैंक आदि लागत में बनकर तैयार हो जाता है वहीं इसके निर्माण के बाद यह लगभग 30 वर्ष तक उपयोग में लाया जा सकता है.
जिलाधिकारी ने पिछले वित्तीय वर्ष में निर्धारित नेपियर घास के 100 हेक्टेयर के लक्ष्य को इस वित्तीय में दोगुना करने के निर्देश दिए हैं. जिलाधिकारी ने फलदार के फर्टिलाइजर सेटअप की अद्यतन सूचना भी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं ताकि फर्टिलाइजर के लिए काश्तकारों की निर्भरता को जनपद से ही पूरा किया जा सके.
गत वर्ष में किये गए कार्यो की जानकारी देते हुए मुख्य कृषि अधिकारी अभिलाषा भट्ट ने कहा कि जनपद की 62310 हैक्टेयर कृषि भूमि है जो कि कुल भूमि का 17 प्रतिशत है जबकि 7444 हैक्टेयर कृषि भूमि सिंचित है जो कि कुल कृषि भूमि का 12 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि 40955 हैक्टेयर भूमि 65% पर जैविक व 21354 हैक्टेयर 35 % पर अजैविक खेती होती है. उन्होंने कहा कि गत वर्ष में झंगोरा (Jhangora) उत्पादन में टिहरी जिले के प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है जबकि रामदाना व गेहूँ के उत्पादन में पहाड़ी जिले के लिहाज से दूसरे स्थान पर रह है. मक्के और जौ के कम उत्पादन पर जिलाधिकारी ने मुख्य कृषि अधिकारी को निर्देश दिए कि मक्का के उन्नत बीजों को काश्तकारों तक पहुंचाने के साथ-साथ मक्के के उत्पादन के लिए भी काश्तकारों को प्रेरित करें.
काश्तकारों को कैश क्रॉप के लिए प्रेरित करने के निर्देश
किसानों की दोगुनी करने को लेकर जिलाधिकारी ने कहा कि काश्तकारों को उन्नत बीज कम दाम पर मिले ताकि उन्नत बीजो के माध्यम से कम लागत में अधिकाधिक उत्पादन किया जा सके इसके साथ ही काश्तकारों को एकीकृत कृषि व कैश क्रॉप के लिए भी अधिक से अधिक प्रेरित करने के निर्देश दिए है.
मुख्य कृषि अधिकारी ने बताया कि गत वर्ष में काश्तकारों को 7540 कृषि यंत्र, 22 गांवों में 23 किमी फेंसिंग, 86 हैक्टेयर पर मिट्टी व जल संरक्षण कार्य, एससीपी योजना से 9 गांवों की 40 प्रतिशत जनसंख्या को लाभान्वित करने, पीएमकेएसवाई के तहत 749 किसानों को लाभान्वित किया. वही एकीकृत कृषि योजना के तहत आवंटित धनराशि रुपए 90 लाख से 1373 काश्तकारों को लाभान्वित किया गया. बैठक में परियोजना निदेश डीआरडीए प्रकाश रावत, डीडीओ सुनील कुमार, मुख्य पशुचिकिसाधिकारी डॉ एसके बर्थवाल, जिला उद्यान अधिकारी पीके त्यागी, सहायक निदेशक दुग्ध प्रेमलाल, मत्स्य निरीक्षक आमोद नौटियाल के अलावा अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे.