गोविंद आर्य
उत्तराखंड में कल शनिवार को प्रशासनिक स्तर पर हुए बड़े फेरबदल के बाद उत्तराखंड के दो जनपदों बागेश्वर और टिहरी जनपद को नए जिलाधिकारी मिले हैं. राज्य में 24 आईएएस अधिकारियों के दायित्वों में फेरबदल किया गया, जबकि करीब इतनी ही संख्या में पीसीएस अफसरों के प्रभार भी बदल दिए गए हैं.
खास बात यह है कि टिहरी जनपद से जिलाधिकारी इवा आशीष श्रीवास्तव (District Magistrate Eva Ashish Srivastava) के साथ ही मुख्य विकास अधिकारी नामामि गंगे बंसल के दायित्व को भी बदला गया है और अब जनपद के दोनों शीर्ष पदों पर जिलाधिकारी श्री सौरभ गहरवार (District Magistrate Saurabh Gaharwar) और सीडीओ श्री मनीष कुमार (CDO Manish Kumar) को लाया गया है. टिहरी जनपद में जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल के कार्यकाल में प्रशासनिक स्तर पर आम जनता में उम्मीदों का जो संचार हुआ था, उनके पीएमओ में पदोन्नति पर जाने के बाद निश्चित तौर पर उन उम्मीदों को जिलाधिकारी इवा आशीष श्रीवास्तव ने बखूबी संभाला. जिलाधिकारी इवा आशीष श्रीवास्तव ने जनपद में अपने कार्यकाल के दौरान कोविड से लेकर टीकाकरण और अन्य प्रशासनिक कार्यों के साथ आम जनता से सीधे सांवाद के लिए जनता दर्शन जैसे कार्यक्रम अयोजित कर जिले वासियों की समस्याओं के समाधान के निरंतर प्रयास किए.
जिलाधिकारी के तमाम प्रयासों के बावजूद जिले के कई अन्य अफसरों की लापरवाही और मीटिंगों में बिना तैयारी के आने पर बारंबार की फटकार के बाद आम जनता की दरकार अधूरी रहीं और जनता दर्शन जैसे कार्यक्रम में राशन कार्ड से लेकर, लोक निर्माण विभाग के मुआवजे और अन्य समस्याओं से त्रस्त लोग अपनी फरियाद लेकर जनपद मुख्यालय के चक्कर काटते दिखे. टिहरी जनपद में नए जिलाधिकारी के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने विभागीय कामों के प्रति लापरवाह बन बैठे ऐसे ही विभागीय अधिकारियों से निपटने की होगी और उन्हें समय पर जनता के कामों के प्रति जवाबदेह बनाना होगा.
पात्र व्यक्तियों को सरकारी सुविधाओं का लाभ दिलाने के साथ ही नव नियुक्त जिलाधिकारी के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तरस रही टिहरी जनपद (Tehri District) की जनता को सुविधाएं उपलब्ध कराने की बड़ी चुनौती होगी. सुविधाओं के नाम पर सरकारी से पीपीपी मोड पर चल रहे मनमाने स्वास्थ्य सेवा के कामकाज को जनता के प्रति जवाबदेह बनाना होगा. जनपद के अधिकांश चिकित्सा केंद्र रेफर सेंटर बने हुए हैं और ऐसे में रेफर के नाम से इलाज से पिंड छुड़ाने वाली प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की तत्काल आवश्यकता होगी. जनपद में कोई ऐसी व्यवस्था की भी दरकार होगी कि कोई ऐसा मैकेनिज्म तैयार हो, जो जनपद के अस्पतालों द्वारा रेफर किए गए मरीजों के डाटा का महीनेवार विश्लेषण कर यह तय कर सके कि जिस बीमारी के लिए मरीज को अमुख सेंटर से रेफर किया गया है, उसका इलाज रेफर करने वाले केंद्र में उपलब्ध था, या नहीं. अगर इस तरह की कोई व्यवस्था जनपद में बने तो जहां रेफर करने की प्रवृति पर अंकुश लगेगा, वहीं गरीब जनता को राहत व नजदीक में इलाज मिले सकेगा.
इसके अलावा टिहरी जनपद के गंगी जैसे दूरस्थ इलाकों में बैठे अंतिम व्यक्ति तक सरकारी सुविधाओं का लाभ दिलाना होगा, वहीं जनपद में संचार सुविधाओं को बेहतर बनाने, आपदा की दृष्टि से संवेदनशील इलाकों में प्रशासनिक अमला चुस्त दुरुस्त रखने की चुनौती होगी. दूसरी तरफ नए जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी को सरकारी धन का इस्तेमाल ग्रामीण स्तर पर साकार की जा रही योजनाओं में यर्थार्थ रूप से धरातल पर दिखे, इस ओर खास ध्यान रखना होगा.
जनपद में जो चुनाव से पूर्व कई शिलान्यास पट समारोह स्थल पर दिखाई दिए थे, वे अभी जनपद मुख्यालय से धरातल की दूरी तय नहीं कर पाए हैं, उन्हें धरातल पर साकार करना होगा. साथ ही हर साल जिला योजना के करोड़ों के बजट जो अनुमोदन और खर्च के दौरान दिखाई देते हैं उनका लाभ जनपद के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक पहुंचे यह सुनिश्चत करना होगा.
टिहरी जनपद में प्रशासनिक मोर्चे के अलावा जिले भर में चिकित्सालयों, स्कूल कालेजों में रिक्त पदों की समस्या बड़े स्तर पर है, जिसे राज्य सरकार से पूरी करवाकर जनपदवासियों को निजात दिलानी होगी. टिहरी बांध और जनपद के अन्य स्थलों पर पर्यटन गतिविधियों, पंवाली कांठा में बुनियादी सुविधाओं पर ठोस कार्ययोजना बनाए जाने की जरूरत होगी. उम्मीद की जानी चाहिए कि राज्य सरकार ने जिस तरह से दोनों कर्मठ अफसरों, डीएम सौरभ गहरवार और मुख्य विकास अधिकारी मनीष कुमार को जिले की कमान सौंपी है, टिहरी की जनता को इसका लाभ मिलेगा.