रुद्रप्रयाग. रुद्रप्रयाग जिला पंचायत (Rudraprayag Zilla Panchayat) के लिए हुए उपचुनाव में एक बार फिर श्रीमती अमर देई शाह (Mrs. Amar Dei Shah) उपचुनाव जीत कर दोबारा जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हो गई हैं. इस चुनाव में जीत हासिल कर अमर देई शाह ने अपनी स्वच्छ छवि और भारतीय जनता पार्टी के विश्वास पर खरा उतरकर नया कीर्तिमान रचा है.
उपचुनाव में निर्वाचित श्रीमती शाह ने अपने करिश्माई व्यक्तित्व और रुद्रप्रयाग जिले के विकास के प्रति अपने समर्पण के चलते कार्य क्षेत्र में जुलाई महीने में खड़ी की गई बाधा को पार कर साबित कर दिया है कि जुलाई में लाया गया अविश्वास प्रस्ताव उनके बढ़ते राजनीतिक कद से परेशान राजनीतिक विरोधियों की साजिश थी.
जुलाई महीने में जिन कई सदस्यों ने तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर अपने अध्यक्ष को सदन में हरा दिया, उन्हीं कई सदस्यों ने अब एक बार फिर अमर देई शाह को उपचुनाव में अपना मत देकर जिला पंचायत में उनके ही नेतृत्व में आस्था जताई है.
बता दें कि इस बार हुए उपचुनाव में उन्हीं कई अविश्वास प्रस्ताव रखने वाले सदस्यों ने अमर देई शाह के पक्ष में मतदान किया है. यह महत्वपूर्ण है कि जुलाई महीने में सदन के सदस्यों के अविश्वास के बावजूद जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती अमर देई शाह (Zilla Panchayat President Mrs. Amar Dei Shah) ने अपनी पार्टी का विश्वास नहीं खोया और दोबारा उपचुनाव में भी प्रत्याशी बनकर जीत हासिल कर अपना रूतबा कायम रखा है.
रुद्रप्रयाग जिला पंचायत अध्यक्ष के उपचुनाव पर प्रदेशभर की नजरें लगी हुई थी और उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में जिस तरह में जिला पंचायत सदस्यों ने अमर देई शाह को जुलाई से अक्टूबर तक क्षेत्र के विकास के कामकाज से दूर रखने की काशिश की उसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं की जा रही थी.
सीधे जनता से होगा चुनाव, तो रुकेगी सदस्यों की मनमानी
मात्र 18 सदस्यों वाली जिला पंचायत रुद्रप्रयाग के हालिया घटनाक्रम को देखते हुए अब इस बात की चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई है कि सदन के सदस्यों की इस तरह की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए यह जरूरी हो गया है कि जिला पंचायत अध्यक्ष, प्रमुख जैसे पदों का सीधा चुनाव हो, जिससे रुद्रप्रयाग जैसी घटना की पहाड़ में पुनरावृत्ति न हो.
बार बार बदलती मनस्थिति में पहाड़ के विकास में चुने गए सदस्यों द्वारा सरकार और प्रशासन का समय व विकास में रोड़ा खड़ा करने की अविश्वास जैसी क्षणिक मंशा सफल न हो. यह बात किसी से छुपी नहीं है कि जनता के वोट से क्षेत्र पंचायत चुनाव और जिला पंचायत चुनाव जीतकर कई सदस्य अध्यक्ष और प्रमुख के चुनाव के लिए अपने निजी स्वार्थ की कीमत वसूलते हैं और चुनाव के बाद वोट देने वाली जनता के प्रति उनकी अन्य सक्रिय भूमिका नहीं दिखती.
जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख के चुनाव सीधे जनता के द्वारा न कराए जाने से हार्सट्रेडिंग की आशंका बनी रहती है और ऐसी स्थिति में इन पदों पर राजनीतिक पृष्ठभूमि से ज्यादा आर्थिक पृष्ठभूमि के लोग सिंहासन को हथिया लेते हैं. गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि होने के कारण सदस्यों के दबाव के कारण ऐसे चुने प्रतिनिधियों का काफी सारा समय अपनी कुर्सी को संभालने में ही चले जाता है. इसलिए पंचायत चुनाव में हार्सट्रेडिंग का खात्मा करने, कार्यकाल के दौरान सदस्यों की मनमानी और जनता के पसंदीदा उम्मीदवार को जिला अध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने यह जरूरी है कि आम जनता के जरिए ही जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख का चुनाव हो. इससे उपचुनाव जैसी स्थितियों से भी काफी हद तक निजात मिलेगी.