देहरादून. प्रदेशभर के उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने उत्तराखंड राज्य की मूल अवधारणा को बचाए रखने आदि की मांगों को लेकर आज गांधी पार्क देहरादून में धरना दिया. राज्य आंदोलनकारियों ने अपनी मांगों में राज्यहित से जुड़े कई बिंदुओं पर सरकार से तत्काल समाधान की मांग की है.
गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित करने की मांग
राज्य आंदोलनकारियों ने मुजफ्फरनगर, खटीमा, मसूरी गोलीकांड के दोषियों को सजा दिलाने, राज्य आंदोलनकारियों को 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण देने, चार सालों से लंबित चिन्हीकरण प्रक्रिया के साथ ही समान पेंशन लागू करने, आंदोलनकारी सम्मान परिसद का गठन करने, शहीद आंदोलनकारियों के आश्रितों की पेंशन का शासनादेश पुन: लागू करने, गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित करने, समूह ग भर्ती हेतु रोजगार कार्यालय पंजीकरण में स्थाई निवास प्रमाण पत्र की अनिवार्यता पुन: बहाल करने, राज्य का 2025 में होने वाला परिसीमन क्षेत्रफल के आधार पर करने, जन विरोधी भू कानून वापस लेने और उत्तराखंड रज्य आंदोलन के शहीद स्मारकों के संरक्षण व निर्माण व्यवस्था शीघ्र करने की मांग की गई.
9 नबंबर तक उचित फैसला नहीं लिया प्रदेश व्यापी आन्दोलन
राज्य आन्दोलन कारी मंच के पूर्व सरकार में मंत्री रहे धीरेन्द्र प्रताप जी, पूर्व राज्य आन्दोलन परिषद के राज्य मंत्री जुगरान, पूर्व मंत्री श्रीमती सुशीला बलोनी, मंच के प्रदेश अध्यक्ष आन्दोलनकारी मंच के जग मोहन नेगी, जब्बर सिंह, डॉ. नरेंद्र डंगवाल, अब्बल सिंह रावत, प्रदेश भर के सभी जिलों के आन्दोलन कारी मंच प्रतिनिधि शामिल हुए. सरकार ने 9 नबंबर तक उचित फैसला नहीं लिया तो राज्य आन्दोलन कारी हर तहसील मुख्यालय से आन्दोलन कर प्रदेश व्यापी आन्दोलन करेंगे.
आंदोलनकारियों ने कहा कि उत्तराखंड का जो स्वरूप होना चाहिए था, जिस अवधारणा से उत्तराखंड राज्य मांगा था वह सब जमीन पर कुछ दिखाई नहीं दे रहा. उत्तराखंड की जनता के साथ अन्याय हो रहा है. छल किया जा रहा है, ठगी चल चल रही है. ऐसे हालातों में अलग राज्य के लिए संघर्स करने वाले राज्य आंदोलनकारी चुप नहीं बैठ सकते और राज्य को बचाने के लिए ऐसे आंदोलनों को और तीव्र किया जाएगा.