- मित्र पुलिस उत्तरकाशी का कोरोना जागृति के संदेश
उत्तरकाशी. कोरोना संक्रमण से बचाव व रोकथाम के लिए उत्तराखंड की कई सामाजिक शख्सियतों ने अपनी-अपनी तरफ से जागरूकता मुहिम के जरिए संदेश देकर लोगों को जागरूक किया है. अपनी भाषा में उत्तराखंड के लोकप्रिय गायक पद्मश्री प्रीतम भरतवाण जी, वरिष्ठ लोक गायक श्री नरेंद्रसिंह नेगी जी, अंतरराष्ट्रीय लोक कलाकार नंदलाल भारती जी सहित कई लोगों ने कोरोना जागृति के संदेश दिए हैं. अब अपनी गढ़वाली भाषा में जन जागृति की सुंदर पहल की है उत्तराखंड की मित्र पुलिस उत्तरकाशी ने. उत्तरकाशी पुलिस द्वारा लोकप्रिय स्लोगनों के जरिए गढ़वाली भाषा को लोक व्यवहार में लाने की एक बार फिर उम्मीद जग गई है. उत्तरकाशी पुलिस के कोरोना अभियान स्लोगनों को देश भर के प्रवासियों से सराहना मिल रही है.
- मित्र पुलिस उत्तरकाशी के संदेशों ने जीता लोगों का दिल
मित्र पुलिस उत्तरकाशी ने गढ़वाली भाषा में- कैका दगड़ी हाथ नि मिलौंण, कोरोना तैं दूर भगौण, मास्क पैरिकैं सेनेटाजर लगौंण…जैसे सुंदर जागरूकता संदेश देकर जहां कोरोना से बचाव रोकथाम का संदेश दिया है, वहीं उत्तराखंड में वहां की मूल भाषा को बचाए रखने की अनूठी पहल की है. कोरोना के दौर में कानून व्यवस्था का कड़ाई से पालन कराने के साथ ही मित्र उत्तराखंड पुलिस ने लाकडाउन के दौरान भूखों, गरीबों, जरूरतमंदों की सेवा के ऊंचे मानदंड स्थापित कर मित्र पुलिस की स्वर्णिम छवि पेश की है. अब उत्तरकाशी पुलिस ने अपने सूचना फलकों पर गढ़वाली में जागरूकता संदेश लिखकर लाखों उत्तराखंडियों का दिल जीत लिया है. लोग इन सूचना फलकों के संदेश पढ़ने के साथ ही अपने मोबाइल में इन स्लोगनों, फलकों की तस्वीरें सहेज रहे हैं.
जागरूकता संदेश लिखने की सबसे सुंदर पहल : डा. योगेश्वर शर्मा
उत्तरकाशी पुलिस की इस पहल पर शिक्षाविद डा. योगेश्वर शर्मा जी ने बताया कि उत्तरकाशी पुलिस द्वारा अपने जन जागृति सूचना फलकों में गढ़वाली में जागरूकता संदेश लिखने की सबसे सुंदर पहल है. उत्तरकाशी पुलिस ने सही जगह सही भाषा का प्रयोग किया है, इससे अपनी बोली भाषा का भी अस्तित्व बना रहेगा और स्थानीय लोगों द्वारा सूचना का महत्व भी समझा जाएगा.
उत्तरकाशी पुलिस कु यु प्रयास भौत ही सराहनीय, सब्बि विभागों द्वारा बि कन्नै जरूरत
इस संबंध में युवा गढ़वाळि साहित्यकार-भाषा विचारक श्री गीतेश नेगी ने भी खुशी जताई है. श्री गीतेश नेगी ने कहा उत्तरकाशी पुलिस का यह प्रयास बहुत ही सराहनीय है, क्योंकि कोई भी भाषा लोक व्यवहार में ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने से ही जीवित रहेगी.
अब्बि हाल मा, उत्तरकाशी पुलिस द्वारा विश्वव्यापी कोरोना महामारी पर जनजागरूकता फैलाणा वास्ता गढ़वाळि मा जु बेरिकेड्स त्यार करे ग्यीं. ये अहम अभियान तैं आमजन तक वेकि ठेठ भाषा मा पहुँचाणा कु उत्तरकाशी पुलिस कु यु प्रयास भौत ही सराहनीय अर प्रेरक छ. इन्ना प्रयास लोकनिर्माण विभाग द्वारा बि पूर्व मा कतगे जग्गों मा देखणा कु मिलीं. शासन प्रशासन की तर्फां बटि गढ़वाळि भाषा तैं जादा से जादा व्यवाहरिक प्रयोग कन्नै इन्ना प्रयास सराहनीय छन युंतैं हौरि व्यापकता दगड़ि अभियान रूप मा सब्बि विभागों द्वारा बि कन्नै जरूरत छ. याँसे मोरदी भाषा तैं ना केवल साँसु मिललु , बल्कि सरकार अर विभागों तैं बि आमजन तक वेकि मातृभाषा मा संवाद कैरिक गैरा जुड़ना मा उद्देश्य मा सफलता मिलली.
8वीं अनुसूची मा शामिल करणा वास्ता संकल्पबद्ध हो सरकार
उत्तराखण्ड राज्य का गढ़वाल क्षेत्र का रैSवासियों अर सर्या दुन्या मा फैलयाँ प्रवासी गढवाळियूँ भाषा छ गढवाळि. स्वतंत्र लिपि, समृद्ध शब्द भण्डार ,समृद्ध साहित्य,अर कतगै उपभाषाओं/बोलियों वळि गढवाळि भाषा तैं कब्बि गढ़वाळै पंवार राजाओं की राजकाजै भाषा यानि राजभाषा कु दर्जा प्राप्त छाई. यूँ कारणों से एक समृद्ध भाषा हुणा का सब्बि मानदण्डों पर एकदम खरी उतरद हमारि गढवाळि भाषा.
गढ़वाळि भाषा मा आज सब्बि विधाओं मा खूब लिखेंणु च, अर ईं भाषा तैं 8वीं अनुसूची मा शामिल कन्नै मांग बि बरोबर उठणी च. साहित्यिक आयोजनों की मंचीय परम्परा से एक कदम एथिर हिटिक अब गढ़वाळि भाषा मा कुछ कुछ नै नै प्रयोग बि व्यवहारिक स्तर पर शासन प्रसाशन अर आमजन का तर्फा बटि शुरवाती स्तर पर हुणा छन जैमा स्कूल कालेजों मा गढ़वाळि भाषा मा सरसुती वन्दना प्रार्थाना, कुछ जिलों मा गढ़वाळि पाठक्रम निर्माण या निजी चैनलों द्वारा गढ़वाळि समाचार आदि शुरवाती कदम छन जौंतैं हौरि विस्तृत , व्यापक अर व्यवस्थित रूप मा व्यवाहरिक रूप से लागू कन्नू जरूरी छ.
सरकार तैं राज्य मा गढ़वाळि कुमाउनी भाषाओं कु एक वृहद पुस्तकालय कु निर्माण बि जल्द से जल्द कन्न चैन्द जैमा हमरु आजतकै लिखित प्रकाशित साहित्य, पाण्डुलिपि आदि संग्रहित हों. सरकार से अपेक्षा छ कि वा हमरि भाषाओं तैं ना केवल 8वीं अनुसूची मा शामिल करणा वास्ता संकल्पबद्ध हो बल्कि सरकार तैं व्यवाहरिक रूप मा आम जनजीवन अर दैनिक कारिजों, सामाजिक अभियानों मा येका प्रयोग तैं प्रोत्साहन दिणै वास्ता विस्तृत कार्ययोजना पर बि गम्भीरता से विचार करण चैन्द.