घनसाली. भिलंगना हाइड्रो पावर के नाम पर दर्जनों पेड़ काटे जाने से एक बार फिर भिलंगना घाटी के ग्रामीणों ने आक्रोश व्यक्त किया है। स्थानीय ग्रामीण भिलंगना घाटी जल जंगल जमीन बचाओ संघर्ष समिति के नेतृत्व में लंबे समय से भिलंगना नदी पर बनने जा रहे पावर प्रोजेक्ट के विरोध में आंदोलनरत हैं।
आज जब आंदोलनकारी पुनः पावर प्रोजेक्ट वाले स्थान पर पहुंचे, तो यहां अंधाधुंध तरीके से पेड़ों का कटान देखा गया, जिससे ग्रामीण फिर बिफर उठे। ग्रामीणों ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि पेड़ों का यह कटान मनमानी तरीके से किया जा रहा है। गामीणों ने बताया कि कई पेड़ बिना घन लगे हुए बिना नंबरिंग के धड़ल्ले से काटे गए हैं।
प्रेस नोट में बताया गया कि इस बात की जानकारी जब समिति के लोगों ने वन विभाग के अधिकारी को दी तो आनन फानन में विभाग के लोग कार्यस्थल पर पहुंचे और वहां पर कार्यरत लेबर को वापस भेजा गया। संघर्ष समिति ने यह भी आरोप लगाया कि न तो उक्त स्थान पर कार्य करने वाले ठेकेदार के पास कार्य हेतु बॉन्ड लेटर विभाग द्वारा जारी है, न ही ठेकेदार द्वारा किसी भी लेबर का वेरिफिकेशन करवाया गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि जब पूर्व में उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता में बैठक हुई तो उपजिलाधिकारी द्वारा विभाग (UJVNL) को साफ निर्देशित किया गया था कि सर्वप्रथम विभाग यह सूची तैयार करे कि पावर प्रोजेक्ट से कुल कितने जलस्त्रोत, कुल कितने गोचरान, शमशानघाट, पनघट, वन विभाग की भूमि, कुल पेड़, ग्रामसभाओं की भूमि, व्यक्तिगत भूमि, सामूहिक सम्पति एवं अन्य समस्त प्रभावित सम्पतियों का ब्यौरा प्रशासन एवं आमजनमानस के मध्य उपलब्ध करवाए एवं स्थानीय आम जनमानस को विश्वास में लेकर ही अग्रिम कार्य करें, लेकिन मनमाने तरीके से सभी बातों को नंजरअंदाज किया जा रहा है। क्षेत्रीय जनता ने इस कार्यप्रणाली का विरोध किया है और उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। बताया गया है कि ग्रामीणों के विरोध के बाद तत्काल पेड़ कटान का कार्य बंद करवा दिया गया है।